समाज में स्त्री पुरुष को बराबर नहीं समझा जाता। ये कविता स्त्री पुरुष समानता को इंगित करती है। समाज में स्त्री पुरुष को बराबर नहीं समझा जाता। ये कविता स्त्री पुरुष समानता को इ...
काश ! कि कोई बहन होती हर रोज़ उससे लड़ाई होती, जब कभी भी वो पुकारती, उसके पीछे मेरी काश ! कि कोई बहन होती हर रोज़ उससे लड़ाई होती, जब कभी भी वो पुकारती, उस...
तुम्हारी हर तस्वीर क्यों लगता है मुझे ही निहारती है, मैंने तुम्हें छोड़ दिया ये सच न तुम्हारी हर तस्वीर क्यों लगता है मुझे ही निहारती है, मैंने तुम्हें छोड़ ...
जीने की कोई चाहत नहीं होती है, तेरे बिन ज़िन्दगी में कोई आहट नहीं होती है। यूँ न तो जीने की कोई चाहत नहीं होती है, तेरे बिन ज़िन्दगी में कोई आहट नहीं होती है। ...
ताल में जल की शैय्या पर बैठी अकेली सोच रही थी कमलिनी धर हथेली गाल पे ! ताल में जल की शैय्या पर बैठी अकेली सोच रही थी कमलिनी धर हथेली गाल पे !
है कैसा सितम दूर जाने हो तुम क्यों!भर लू बाहों में तुमको जी चाहता है!! है कैसा सितम दूर जाने हो तुम क्यों!भर लू बाहों में तुमको जी चाहता है!!